🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= बारहमासो(ग्रन्थ ३५) =*
*= निवेदन =*
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*बीते बारह मास बिरहनी तलफतैं ॥*
*मिहरि न आई तोहि निष् दिन कलपतैं ॥*
*अबहिं दया करि आव जीवका दांन दै ॥*
*(परि हां) सुन्दर प्रानहिं राखि*
*निकसि जिनि जांन दै ॥१३॥*
*॥ समाप्तोऽयं बारहमासो ग्रन्थः ॥३४॥*
मुझ विरहिणी(रामदर्शन की प्यासी) को तड़पते-तड़पते साल के बारहों महीने बीत गये(इतना अमूल्य समय नष्ट हो गया) । हे कन्त ! मुझ दुखियारी पर अब भी तुम्हें दया नहीं आयी ! अब तो दया कर अपने घर(मेरे ह्रन्मन्दिर) में पधारिये, और मुझे दर्शन दे कर मेरा जीवन कृतार्थ कीजिये । प्रभो ! मेरे प्राणों की रक्षा कीजिये । ऐसा न हो कि यह अमूल्य मानवदेह आपके दर्शनों(साक्षात्कार) के बिना नष्ट हो जाय ॥१३॥
*॥ बारहमासा ग्रंथ समाप्त ॥*
(क्रमशः)
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