🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= आयुर्बल-भेद आत्मा-बिचार(ग्रन्थ ३६) =*
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{इस ग्रन्थ में जिज्ञासु को मनुष्य के जीवन का न्यूनाधिक भाव बतलाते हुए इस देह को नश्वरता के प्रतिपादन के साथ-साथ प्रतिक्षण परमात्मा के चिन्तन का उपदेश किया है । आयु के न्यूनाधिक भाव को समझाने के लिये इसमें बांस की छाया का बहुत सुन्दर उदाहरण दिया है ।}
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*= चौपाई = युगानुसारी आयुर्बल =*
*गुरु बंदन करि करौं उचार ।*
*आयुर्बल१ कौ सुनहु बिचार ॥*
*ब्रह्मा आदि कीट पर्यन्त ।*
*आयुर्बल बीतै ह्वै अन्त ॥१॥*
श्री गुरुदेव को प्रणाम कर इस ग्रन्थ की रचना प्रारम्भ कर रहा हूँ । इसमें प्रत्येक युग के मनुष्य की आयु के न्यूनाधिकार भाव पर विचार किया जा रहा है । ब्रह्मा से लेकर कीट-पतंग तक असंख्य आयुर्बल बीतते हैं ॥१॥{१. आयुर्बल = आयु, जीवन की अवधि(आयुष्य)}
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*सतयुग लक्ष वर्ष की आव ।*
*त्रेता दश सहस्त्र ठहराव ॥*
*द्वापर एक सहस्त्रहिं जांनीं ।*
*कलियुग मैं सौ बरस बखाँनीं ॥२॥*
सतयुग में मनुष्य की एक लाख वर्ष की आयु होती है । त्रेता में दस हजार वर्ष की होती है । द्वापर में एक हजार वर्ष की और कलियुग के प्रारम्भ में सौ वर्ष की आयु कही जाती है ॥२॥
(क्रमशः)
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