卐 सत्यराम सा 卐
*जियरा, चेत रे जनि जारे ।*
*हे जैं हरि सौं प्रीति न कीन्ही, जन्म अमोलक हारे ॥टेक॥*
*बेर बेर समझायो रे जियरा, अचेत न होइ गंवारे ।*
*यहु तन है कागद की गुड़िया, कछु इक चेत विचारे ॥१॥*
*तिल तिल तुझको हानि होत है, जे पल राम बिसारे ।*
*भय भारी दादू के जिय में, कहु कैसे कर डारे ॥२॥*
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साभार ~ Chetna Kanchan Bhagat
**!! जीवन बड़ी चीज है !!**
सिकंदर एक फकीर से मिला और उसने फकीर से पूछा कि मैं संसार को जीतने निकला हूं मुझे आशीर्वाद दो। उस फकीर ने कहा, आशीर्वाद दूंगा, उसके पहले एक प्रश्न है ! तुम संसार को जीत लिए, मानो; मान लो कि संसार जीत लिए और एक महा रेगिस्तान में अकेले पड़ गए हो, प्यास लगी है भयंकर और एक गिलास पानी मिल जाए इसके लिए तडूफ रहे हो; मर जाओगे।
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और मैं एक गिलास पानी लेकर वहां मौजूद होता हूं। लेकिन ऐसे ही मुफ्त नहीं दे दूंगा एक गिलास पानी। तुम कितना मूल्य चुकाने को राजी होओगे? सिकंदर ने कहा, जो मांगोगे। फकीर ने कहा, आधा राज्य। सिकंदर थोड़ा झिझका, हालांकि अभी देने लेने की कोई बात नहीं थी, यह केवल कल्पना का सवाल था, लेकिन फिर भी झिझका, आधा राज्य, एक गिलास पानी के लिए। लेकिन फिर पूरी परिस्थिति सोची।
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भयंकर रेगिस्तान, भरी दोपहरी आग बरसती, कहीं कोई रास्ते का पता नहीं, दूर दूर तक गांव की कोई खबर नहीं; कब पहुंच पाऊंगा इस रेगिस्तान के बाहर कोई संभावना नहीं, प्यास से मरा जा रहा है। तो अब आधा राज्य भी अगर देना पड़े एक गिलास पानी के लिए सिंकंदर ने थोड़े संकोच से कहा कि ठीक, अगर ऐसी परिस्थिति होगी और मृत्यु सामने खड़ी होगी, तो फिर आधा राज्य भी दूंगा।
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फकीर ने कहा, मैं भी कुछ इतनी जल्दी पानी बेच नहीं दूंगा, पूरा राज्य चाहिए। सिकंदर ने कहा, बात क्या करते हो, कुछ सीमा होती है किसी बात के मूल्य की। एक गिलास पानी ! पर फकीर ने कहा, परिस्थिति सोचलो, वही एक गिलास पानी तुम्हारा जीवन है, पूरा राज्य दोगे तो ही दे सकूंगा। सिकंदर ने थोड़ा सोचा और कहा, अच्छा, अगर ऐसी स्थिति होगी तो पूरा राज्य भी दूंगा, क्योंकि जीवन बड़ी चीज है।
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फकीर हंसने लगा। उसने कहा, बस, इसको तुम याद रखना, आशीर्वाद क्या मांगते हो, जीवन बड़ी चीज है। तुम जीवन को गंवा दोगे, राज्य पा लोगे, और राज्य की इतनी कीमत है कि जरूरत पड़ जाए तो एक गिलास पानी में बिक जाए। इसका मूल्य कितना है?
-अथातो भक्ति जिज्ञासा (भाग–1) प्रवचन–19
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