🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= बारहमासो(ग्रन्थ ३५) =*
*= फाल्गुन मास =*
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*फागुन घर घर फाग सु खेलहिं कंत सौं ॥*
*केसरि चन्दन अगर गुलाल बसंत सौं ॥*
*मेरै नख शिख अग्नि बारि बिरहा दई ॥*
*(परि हां) सुन्दर मृतक समान*
*देखि बिरहनि भई ॥१२॥*
फागुन(फाल्गुन) के महीने में हर पतिव्रता नारी अपने पति के साथ सुख मानती है । इस वसन्त में केशर, चन्दन, अगर, गुलाल आदि से फाग(वसन्त-क्रीड़ा) खेल कर ही अतिशय सुख मानती है । इस सुखकर अवसर पर पति के विरह में मुझ विरहिणी के तन-मन में आग लग रही है । आज मेरी हालत सब सांसारिक सुविधाओं के रहते भी पति के वियोग में मुर्दा की तरह हो गयी है ॥१२॥
(क्रमशः)
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