🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= बारहमासो(ग्रन्थ ३५) =*
*= आग्रहायण(मार्ग शीर्ष) मास =*
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*अगहन पिय की बात कहै को सुनि सखी ॥*
*हृदै और मुख और सु मैं मन मैं लखी ॥*
*आवन कौं कहि गये अजौं नहिं आइया ॥*
*(परि हां) सुन्दर कपटी कंत*
*उंही२ बिरमाइया ॥९॥*
देखते-देखते अगहन(आग्रहायण) का महीना भी आ गया; पर हे सखि ! उस मेरे प्रियतम के हृदय में क्या है ?— यह कोई नहीं बता सकता; क्योंकि वह कहता कुछ है करता कुछ है । कह कर गया था जल्दी लौटने के लिए, पर आज तक उसे आने की फुर्सत नहीं मिल सकी । उस धूर्त का क्या ठिकाना; पता नहीं वह और किसी(स्त्री, मेरी सौतिन) के साथ परदेश में मजे ले रहा हो ! ॥९॥
{(२. उहीं = उसी(सोतिन) ने, या वहीं(परदेश में)}
(क्रमशः)
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