🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= आयुर्बल-भेद आत्मा-बिचार(ग्रन्थ ३६) =*
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*तीस बीस दश पाँच की एक ।*
*एक घड़ी मैं गये अनेक ॥*
*एक घड़ी की साठि निमेष ।*
*घटत घटत एकै पल शेष ॥७॥*
फिर आगै तीस, बीस, दस, पाँच यहाँ तक कि अन्त में एक घड़ी का ही आयुर्बल रह जायगा । एक घड़ी भी उस समय ज्यादा मानी जायगी । एक घड़ी में भी साठ निमेष(पल) होते हैं । इन निमेषों में आयुर्बल माँपा जायगा । और अन्त में एक पल आयुर्बल रह जायगा ॥७॥
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*एक पलक षट स्वासा होइ ।*
*तासौं घटि बधि कहै न कोइ ॥*
*पंच च्यारि त्रिय द्वै इक स्वास ।*
*अर्थ पाव अध पाव विनास ॥८॥*
एक पल छह श्वास का होता है । इससे नीचे(कम) आयुर्बल का न्यूनाधिक भाव क्या कहा जाय ! परन्तु इसमें पाँच, चार, तीन, दो, एक श्वास तक और इससे भी आगे अन्त में आधा और चौथाई श्वास तक आयुर्बल रहता है ॥८॥
(क्रमशः)
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