बुधवार, 27 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी ४/१) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
.
(४) 
(पूर्वी बोली मिश्रित) 
हरि भजि बौरी हरि भजु त्यजु नैहर कर मोहु । 
पिव लिनहार पठाइहि इक दिन होइहि बिछोहु ॥(टेक) 
अरी पागल ! भगवान् का भजन कर । यह नैहर(मातृगृह) का मोह त्याग दे । अरी ! किसी दिन तुम्हारे पति तुम्ह को बुलाने के लिये किसी को भेज देंगे, तब तुझ को जाना ही होगा । तब भी तो तेरा इस मातृ गृह से वियोग हो ही जायगा ॥टेक॥ 
आपुहि आपु जतन करु जौं लगि बारि बयेस । 
आन पुरुष जिनि भेटहु केंहुके उपदेस ॥१॥ 
तू स्वयं कोई गम्भीरता से प्रयत्न कर और यह बचपन त्याग दे । किसी के बहकावे में आकर अन्य पुरुष से प्रीति न बढ़ा ॥१॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें