मंगलवार, 19 जून 2018

= १४९ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
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*दादू मेरा तेरा बावरे, मैं तैं की तज बान ।*
*जिन यहु सब कुछ सिरजिया, करता ही का जान ॥*
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*निर्पख ह्वै कर पख गहै, नरक पड़ैगा सोइ ।*
*हम निर्पख लागे नाम सौं, कर्त्ता करै सो होइ ॥*
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*स्वारथ सेवा कीजिये, ताथैं भला न होइ ।*
*दादू ऊसर बाहि कर, कोठा भरै न कोइ ॥*
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*फल कारण सेवा करै, जाचै त्रिभुवन राव ।*
*दादू सो सेवक नहीं, खेलै अपना दाव ॥*
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*सहकामी सेवा करैं, मागैं मुग्ध गँवार ।*
*दादू ऐसे बहुत हैं, फल के भूँचनहार ॥*
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*क्या मुँह ले हँस बोलिये, दादू दीजे रोइ ।*
*जन्म अमोलक आपना, चले अकारथ खोइ ॥*
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*जा कारण जग जीजिये, सो पद हिरदै नांहि ।*
*दादू हरि की भक्ति बिना, ध्रिक् जीवन कलि मांहि ॥*
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*किया मन का भावता, मेटी आज्ञाकार ।*
*क्या ले मुख दिखलाइये, दादू उस भरतार ॥*
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*किया था इस काम कौं, सेवा कारण साज ।*
*दादू भूला बंदगी, सर्या न एकौ काज ॥*

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