बुधवार, 20 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी २/२) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(२) 
*शंकर भोलानाथ हाथ बरु दीनौं रे ।*
*अपनौं काल उपाइ मरम चीन्हौं रे ॥३॥* 
शंकर को भी प्राप्त करने की कोई इच्छा नहीं है, क्योंकि वे भी भोले-भाले ही हैं । उन ने ऐसे मूर्ख अभिमानी(शुम्भ) के हाथ में अस्त्र दे दिया जो उनको ही मारने हेतु दौड़ पड़ा था ॥३॥ 
*औरौं देविय देव सेव हम त्यागिय रे ।* 
*सब तें भयौ उदास ब्रह्म लय लागिय रे ॥४॥* 
इसी प्रकार, अन्य देवी-देवताओं से भी किसी याच्ञा का संकल्प मैंने त्याग दिया है । अब मैं इन देवी देवताओं से उदास(निरपेक्ष) होकर एकमात्र ब्रह्मचिन्तन में लगने जा रहा हूँ ॥४॥ 
*जाचिक निकट अवास आस धरि गावै रे ।* 
*बाहरि ठाढो रहै कि भीतरि आवै रे ॥५॥* 
याचक के घर के पास अपना आवास बनाकर रहना उचित नहीं होता, क्योंकि वह दिन भर कुछ मिलने की आशा से गाता रहता है, तथा यही सोचता रहता है कि मांगने के लिये अन्दर चलूँ या बाहर ही खड़ा रहूँ ॥५॥ 
(क्रमशः)

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