सोमवार, 4 जून 2018

= जीवित मृतक का अँग(२३ - १९/२१) =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
*जीवित मृतक का अँग २३* 
दादू मारग साधु का, खरा दुहेला जान । 
जीवित मृतक ह्वै चले, राम नाम नीशान ॥१९॥ 
सँतों का निर्गुण उपासना रूप मार्ग सच्चा है किन्तु कठिन भी है, यह सत्य समझो । परन्तु परब्रह्म को लक्ष्य बनाकर, राम - नाम का चिन्तन करते हुए जीवितावस्था में ही शव के समान सम हो जाता है, वह अनायास ही इस सूक्ष्म मार्ग में चल सकता है । 
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दादू मारग कठिन है, जीवित चले न कोइ ।
सोई चलि है बापुरा१, जो जीवित मृतक होइ ॥२०॥
सँतों का निर्गुण मार्ग कठिन है, राग - द्वेषादि रूप जीवन युक्त प्राणी उसमें कोई भी नहीं चल सकता । वही शरीरधारी१ उसमें चल सकता है, जो जीवितावस्था में ही शव के समान राग - द्वेषादि से रहित सम होता है ।
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मृतक होवे तो चले, निरंजन की बाट । 
दादू पावे पीव को, लँघे औघट घाट ॥२१॥ 
जो जीवितावस्था में ही शव के समान राग - द्वेषादि से रहित सम हो जाता है वही निरंजन राम की प्राप्ति के मार्ग में चलकर, अविद्या रूप विकट घाटी को लाँघ के ब्रह्म को प्राप्त करता है ।
(क्रमशः)

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