शनिवार, 23 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी २/५) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(२)
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*जाचिक देइ असीस नाम लेइ काकौ रे ।* 
*माइ बाप कुल जाति बरन नहीं वाकौ रे ॥१२॥* 
अन्त में, याचक ने दाता को आशीर्वाद देना चाहा तो उसके सामने समस्या आ गयी कि किस का नाम लेकर आशीर्वाद दे; क्योंकि दाता का माता, पिता, कुल, जाति, वर्ण आदि कुछ भी तो उसको ज्ञात नहीं था ॥१२॥ 
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*सब तेरौ परिवार न तेरौ कोइय रे ।*
*बहुत कहा कहौं तोहि सबद सुनि दोइय रे ॥१३॥* 
यद्यपि यह दृश्यमान जगत् सब तेरा परिवार कहा जाता है; परन्तु तेरा अपने कोई नहीं है । अतः मैं तुमसे अधिक क्या कहूँ ! मेरे दो शब्द सुन लो ॥१३॥ 
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*धनि धनि सिरजनहार तौ मंगल गायौ रे ।* 
*जन सुन्दर कर जोरि सीस तोहि नायौ रे ॥१४॥* 
"हे सिरजनहार ! आप धन्य हैं, आप धन्य है ?" आप के सम्मुख मैं मंगल गान करता हूँ । महात्मा सुन्दरदासजी कहते हैं - "मैं हाथ जोड़कर तुम्हारे सम्मुख अपना शिर झुकाता हूँ ॥१४॥ 
(क्रमशः)

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