#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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*जीव कहै काया सुनौ मेरै ठौर अनंत वे ।*
*आयौ थो इस काम कौं भजन करन भगवंत वे ॥*
*भगवंत भजनै कारनि आयौ प्रभु पठायौ आप वे ।*
*पिछली सुधि सवैं बिसरी भयौ तोहि मिलाप वे ॥*
*इक मिले तोसौं कहा कोसौं अंतरा पार्यो घनौं ।*
*सुन्दरदास बिसास घातनि जीव कहै काया सुनौं ॥८॥*
८. *जीव* : अरी काया ! संसार में मेरे लिये स्थिति स्थान अनेक हैं । सचाई यह है कि मैं तो भगवान् का भजन करने हेतु यहाँ आया था । भगवान् ने मुझ को स्वयं भेजा था । मुझको यह बात तो विस्मृत हो गयी और तुझसे मेरा मिलन(संग) हो गया । यह तुझसे मिलन क्या हो गया कि वह भजन करने वाली बात मुझसे कोसों दूर रह गयी ! अरी विश्वासघातिनी ! (धोखेबाज) तूँ ने मेरे साथ बहुत धोखा किया ॥८॥
(क्रमशः)
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