शनिवार, 9 जून 2018

= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८/१६-१७) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८) =*
*सुख निधान परमातम आतम अंस ।* 
*मुदित सरोवर महिंया क्रीडत हंस ॥१६॥* 
यह आत्मा, जो कि उस परब्रह्म की ही अंश है, उसमें लीन होकर उसी आनन्द की अनुभूति करता है, जो आनन्द हंस को मानसरोवर मिलने पर होता है ॥१६॥ 
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*एक सेज बर कामिनि लागलि पाइ ।* 
*पिय कर अंगिह परसत गइल बिलाइ ॥१७॥* 
एक शय्या पर बैठकर कामिनी(जीवात्मा) अपने प्रियतम(परमात्मा) के पैर दबाती हुई तथा उसके अनन्य अंगों का स्पर्श करती हुई इतनी विभोर हो गयी कि वह उसी में लय(तादात्म्यभाव) को प्राप्त हो गयी ॥१७॥ 
(क्रमशः)

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