बुधवार, 6 जून 2018

= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८/१२-१३) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
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*= पूरबी भाषा बरवै(ग्रन्थ ३८) =*
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*सब के मन भावन सरस बसंत ।*
*करत सदा कौतूहल कामिनि कंत ॥१२॥*
इसी से कामिनी(ज्ञानी पुरूष) अपने कन्त(परब्रह्म-परमात्मा) के साथ अद्वैतानन्द का सुखभोग करती हैं ॥१२॥
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*झूलत बैसि हिंडोरनि पिय कर संग ।*
*उत्तम चीर बिराजल भूषन अंग ॥१३॥*
वह कामिनी नानाविध उत्तम वस्त्र एवं आभूषण पहनकर यहाँ अपने प्रियतम के साथ हिंडोले(झूले) में बैठकर झूला झूल रही है ॥१३॥
(क्रमशः)

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