बुधवार, 13 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी १/३) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
*देह कहै सुनि प्रानियां तोहि न जानत कोइ वे ।* 
*प्रगट सु तौ हमतैं भयौ कृतघनी जिनि होइ वै ॥* 
*इक होइ जिनि कृतघनी कब हौं भोग बहु बिधि तैं किये ।* 
*शब्द सपरस रूप रस पुनि गंध नीकैं करि लिये ॥* 
*इक लिये गंध सुबास परिमल प्रगट हम तैं जानियां ।* 
*सुन्दरदास बिलास कीने देह कहै सुनि प्रानियां ॥३॥* 
३. *देह* : पुनरपि, संसार में तम्हारी सत्ता हम से ही द्योतित होती है, अतः तुम इतना कृतघ्न न बनो, हमारी कृतज्ञता स्वीकार करो । कभी हम दोनों ने मिलकर संसार में विविध सुख भोगे हैं । कर्ण मधुर शब्दों वाले, कोमल स्पर्श वाले, मनोहर रूप वाले, मधुर रस वाले, सुन्दर गन्ध वाले पदार्थों का उपभोग किया है । हे प्राणी ! तुम्हें ज्ञात ही नहीं है कि हमने कितने ऐसे सुखविलास मिलकर भोगे हैं ! ॥३॥
(क्रमशः)

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