मंगलवार, 3 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी ६/२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(६)
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*जब गजराज मस्तमद होई करिये बहु बिधि सारा ।* 
*जब मद गयौ भयौ बसि अपनैं लादि चलायौ भारा ॥२॥* 
इसी प्रकार, जब किसी बलवान गजराज पर पानी(मद = बल वीर्य) चढ़ा हुआ हो तो उस को उन्मत्तत्ता से रोकना कुशल से कुशल महावत के लिये भी कठिन हो जाता है; परन्तु जब उस पर मद नहीं रहता तब उसके सीधे पन का लाभ उठाकर बाजार में बच्चे भी उससे खेलते हुए दिखायी दे जाते हैं, या उस पर अधिक से अधिक भार रखकर ढोया जाता है ॥२॥ 
*जब सरवर जल रहै पूरि कै सब कोई देषन चाहा ।* 
*सूकि गये ताही कै भीतरि षोदै जाइ बराहा ॥३॥* 
इसी प्रकार, जब कोई महान् सरोवर जल से भरा रहता है तो जनता, उसे देखने के लिये, दूर दूर से चली आती है । परन्तु जब उसी सरोवर का जल सूख जाता है तो शूकर उसकी मिट्टी खोदते दिखायी देते हैं ॥३॥ 
*याही साषि कहै सिधि बिंद राषि कैं लीजै ।* 
*सुन्दरदास जोग जब पूरण राम रसांइन पीजै ॥४॥* 
इन ही साक्ष्यों के आधार पर सन्त जन उपदेश करते हैं कि साधक को भी अपना वीर्यबिन्दु इसी प्रकार सुरक्षित रखना चाहिये, तभी वह अपने आश्रय के साधन में सफलता प्राप्त कर, रामरस पान का पूर्ण आध्यात्मिक आनन्द ले सकता है ॥४॥
(क्रमशः)

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