शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

(३)


#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*कुंज केलि तहं परम विसाल,*
*सब संगी मिल खेलैं रास ॥*
*तहँ बिन बैना बाजैं तूर,*
*विकसै कँवल चंद अरु सूर ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ४०६)
===================
*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
.
(३)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥३॥
सर्वकामनापूरक, भवन-बहुल, वैभवशाली धनिकों का निवास, सारस पक्षियों के कूँ-कूँ से गुंजायमान, गहरे कुओं से भरा, स्वर्णिम यह अयोध्या शहर था ॥३॥
The city of Ayodhya, abounding in mansions, the abodes of riches and splendour and of people, whose desires are fulfilled, is the land of deep wells and the cooing of saarasa birds and of gold coloured earth or of golden earth.(3)
.
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥३॥
मकानों में निर्मित पूजा वेदी के चहुं ओर ब्राह्मणों का जमावड़ा इस बड़े कमलों वाले नगर, द्वारका, में है । निर्मल भवनों वाले इस नगर में ऊंचे आमवृक्षों के ऊपर सूर्य की छटा निखर रही है ॥३॥
The houses of Dwaraka are having raised platforms for doing rituals and hence full of brahmins. The lotuses blossoming there are huge. The city has mansions without blemishes and with tall mango trees on the top of which the sun is shining.(3)
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें