मंगलवार, 3 जुलाई 2018

= शूरातन का अँग(२४ - २२/४) =

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐

*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शूरातन का अँग २४*
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मरबे ऊपरि एक पग, करता करे सो होहि ।
दादू साहिब कारणे, तालाबेली१ मोहि ॥२२॥
हमने तो अहँकारादिक को नष्ट करने के लिये एक निश्चय से साधन - संग्राम में पैर रोप रक्खा है, नष्ट करके ही हटेंगे । आगे जो ईश्वर करेंगे वही होगा, किन्तु हमें परमात्मा के दर्शनार्थ बड़ी व्याकुलता१ है ।
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*हरि भरोसा* 
दादू अँग न खैंचिये, कह समझाऊँ तोहि । 
मोहि भरोसा राम का, बँका बाल न होहि ॥२३॥ 
२३ - २४ में राम का भरोसा दिला रहे हैं, हे साधक ! साधन - संग्राम से शरीर को बाहर मत खैंच अर्थात् साधन मत छोड़ । मुझे राम का दृढ़ भरोसा है, वही तुझे कह कर समझा रहा हूं । अहँकारादिक आसुरी गुण तेरा बाल भी बाँका न कर सकेंगे, तू राम के बल पर विजयी होकर राम को प्राप्त होगा । 
बहुत गया थोड़ा रह्या, अब जिव सोच निवार । 
दादू मरणा माँड रहु, साहिब के दरबार ॥२४॥ 
हे जीव ! जीवन का बहुत - सा समय चला गया है, थोड़ा ही शेष रहा है । अब तो साँसारिक चिन्ताओं को त्याग कर तथा अहँकारादि को नष्ट करने की तैयारी करके परमात्मा के भक्ति रूप दरबार में जाकर रह अर्थात् भक्ति कर ।
(क्रमशः)

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