बुधवार, 11 जुलाई 2018

= १९१ =

卐 सत्यराम सा 卐
*राम कहेगा एक को, जे जीवित-मृतक होइ।*
*दादू ढूंढे पाइये, कोटि मध्ये कोइ॥* 
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साभार ~ Chetna Kanchan Bhagat

बस्तर में कथा हो तो जगह भी ऐसी रखना जहाँ मेरे आदिवासी भाई बहन सरलता से जा सकें ..इर्द गिर्द में मेरी 1 कुटिया बना देना घास फूस की ..मैं वहीं रह लूँगा 9 दिन और हो सका तो मैं गंगाजल दूँगा मेरे आदिवासी भाई बहन को ..वो रात को मेरी सब्जी रोटी बना दे ..
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और मेरी इच्छा ये भी है की ..कल मैं गाड़ी में कह रहा था ..की यदि पर्मात्मा ने अवसर दिया और जो किसी कारण वश यहाँ एक विस्तार नक्सलवादी ..naxalites की है ..मैं उन सबको मिलने जाना भी चाहूँगा ..यदि संभव हो तो ..कोई तकलीफ ना हो तो ...
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किसीको तकलीफ हो वो मेरे साथ ना आयें ..हम तो अब कफन बांधकर घूम रहे हैं ..आतंकवादी को किसीका डर नहीं ..तो आत्मवादी को किसका डर ? ना मेरे साथ security चले ..आदमी को अपनी अहिंसा की श्रद्धा की कसौटी करनी चाहिये की पतंजली बोला वो ठीक बोला की नहीं ? पतंजली ने कहा की अहिंसा उसकी सिद्ध हुई मानो जिसके पास आनेवाला हिंसक शस्त्र छोड़ दे ..
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हाँ १ वस्तू मैं स्वीकार करता हूँ की जिसने घूंट घूंटकर अहिंसा को अपने नस नस में उतारा है ..उसके साथ हिंसक भी अहिंसक बन जाता है ..लेकिन इसमें १ अपवाद है -नियती ...गांधीजी की अहिंसा में कोई कसर नहीं थी ..१ आदमी निकट अा गया revolver लेकर ..उसको अहिंसा की असर क्यूँ नहीं हुई ? 
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बिल्कुल निकट गोडसे अा गया ..वहाँ गांधीजी की अहिंसा कमजोर थी ऐसा नहीं था ..गांधीजी के निर्वाण की नियती ऐसी थी ...और नियती को कोई बदल नहीं सकता ..बुद्धपुरूष तो नियती को बहुत सन्मान देता है ..
मोरारी बापू के शब्द 
मानस अपराध, रायपुर 
जय सियाराम dt 23-4-2017

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