बुधवार, 11 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी १२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(१२) 
(तिताला) 
*काहे कौं तूं मन आनत भै रे ।* 
*जगत बिलास तेरौ भ्रम है रे ॥(टेक)* 
रे मन ! तूं अपने में भय का विचार क्यों कर रहा है ? अरे ! यह जगद्विलास(समस्त चराचर जगत्) तो तेरा भ्रम है ॥टेक॥ 
*जन्म मरन देहनि कौं कहिये सोऊ भ्रम जब निश्चय ग्रहिये ॥१॥*
यह जन्म मरण देह(शरीर) का होता है - यह यथार्थ(निश्चय) होने पर यह भ्रम टूट जाता है ॥१॥ 
*स्वर्ग नरक दोऊ तेरी शंका तूंही राव भयौ तूं रंका ॥२॥* 
(शास्त्रों में प्रतिपादित) स्वर्ग एवं नरक भी तेरी शंका(सन्देह) मात्र हैं । वस्तुतः तूँ ही राजा है और तूँ ही निर्धन है ॥२॥ 
*सुख दुख दोऊ तेरै कीये तैंही बन्ध मुक्त करि लिये ॥३॥* 
इसी प्रकार, सुख दुःख भी तेरी कल्पना मात्र हैं । और बन्धन एवं मुक्ति भी तेरा भ्रममात्र है ॥३॥ 
*द्वैत भाव तजि निभैं होई तब सुन्दर सुन्दर है सोई ॥४॥* 
कवि कहते हैं - अतः तूँ द्वैतभाव का त्याग कर निर्भय हो जा । तभी जिज्ञासु का जीवन सर्वथा सुखमय होगा ॥४॥
(क्रमशः)

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