#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शूरातन का अँग २४*
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*शूरातन*
दादू जाते जिव१ तैं तो डरूँ, जे जिव मेरा होइ ।
जिन यहु जीव उपाइया, सार करेगा सोइ ॥७७॥
७६ - ७८ में शौर्य दिखा रहे हैं, यदि प्राण१ हमारा हो तो इसे जाते हुये देख कर हमें भय हो सकता है किन्तु यह तो जिनने उत्पन्न किया है, उन्हीं प्रभु का है, वे ही इसकी रक्षा करेंगे, हमें क्या चिन्ता है ?
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दादू जिनको सांई पाधरा१, तिन बँका नाहिं कोइ ।
सब जग रूठा क्या करे, राखणहारा सोइ ॥७८॥
जिनसे परमात्मा सीधे१ रहते हैं उनसे कोई भी बांका नहीं होता और यदि सब जगत् रुष्ट हो जाय तो भी उन भक्तों का क्या कर सकता है ? क्योंकि उनके रक्षक वे सर्व - समर्थ परमात्मा हैं ।
(क्रमशः)
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