सोमवार, 30 जुलाई 2018

(७)

卐 सत्यराम सा 卐
*पूरक पूरा है गोपाल,*
*सबकी चिंत करै दरहाल ॥*
*समर्थ सोई है जगन्नाथ,*
*दादू देख रहे संग साथ ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ४८)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(७)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
रामनामा सदा खेदभावे दया-
वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-
मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥७॥
श्री राम – दुखियों के प्रति सदैव दयालु, सूर्य की तरह तेजस्वी मगर सहज प्राप्य, देवताओं के सुख में विघ्न डालने वाले राक्षसों के विनाशक – अपने बैरी – समस्त भूमि के विजेता, श्रमणशील रेणुका-पुत्र परशुराम – को पराजित कर अपने तेज-प्रताप से शीतल शांत किया था ॥७॥ 
Sri Rama, who was always merciful towards aggrieved, shone like the Sun but was easily approachable and who destroyer of the demons tormenting the sages, humbly defeated inimical Parasurama(Renuka's son) who roamed around all the earth as his wealth. (7) 
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(७) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-
सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवा
यादवे भादखेदासमानामरा ॥७॥
अपराजेय मेरु(सुमेरु) पर्वत से भी सुन्दर रैवतक पर्वत पर निवास करते समय रुक्मिणी को स्वर्णिम चमकीले पारिजात पुष्पों की प्राप्ति उपरांत धरती के अन्य पुष्प कम सुगन्धित अप्रिय लगने लगे, उन्हें कृष्ण की संगत में ओजस्वी, नवकलेवर, दैवीय रूप प्राप्त करने की अनुभूति होने लगी ॥७॥
Rukmani having obtained divine Parijatha flower the golden luminous flora of flowers, while staying on the beautiful Raivathaka Mountain from the unbeatable Meru(Sumeru) Mountains, the other flowers of the earth seemed less aromatic. She felt rejuvenated receiving divine form in the accompaniment of Krishna. 
(क्रमशः)

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