रविवार, 29 जुलाई 2018

= शूरातन का अँग(२४ - ७३/७४) =

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शूरातन का अँग २४*
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*शूरातन विनती* 
दादू बल तुम्हारे बापजी, गिणत न राणा राव । 
मीर१ मलिक२ प्रधान३ पति४, तुम बिन सब ही बाव५॥७३॥ 
७३ - ७६ में शौर्यार्थ विनय कर कहे हैं - हे बापजी ! आपके बल पर भक्त जन, राणा, राजा आदि को महान् नहीं समझते, क्योंकि - वे आपके बिना सरदार१, सम्राट्२, प्रधान मँत्री३, सेनापति४ आदि सभी को विषय५ - प्रद समझते हैं, मुक्ति - प्रद नहीं । 
दादू राखी राम पर, अपणी आप सँवाह१ । 
दूजा को देखूँ नहीं, ज्यों जानैं त्यों निर्वाह ॥७४॥ 
हमने सम्पूर्ण व्यवस्था निरंजन राम पर ही रक्खी है, वे अपनी सँस्था जान कर अपने आप ही चलायेंगे१ । दूसरा कोई उपाय हम नहीं देखते । जैसे निरंजन राम तुमको जानेंगे, वैसे ही तुम्हारा निर्वाह करते रहेंगे । प्रसंग - महाराज के ब्रह्मलीन होने के समय गरीबदासजी ने प्रश्न किया था - आपके पश्चात् आपका यह समाज किस उपाय से और कैसे चलेगा ? उसी का उत्तर ७४ से दिया था ।
(क्रमशः)

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