मंगलवार, 17 जुलाई 2018

= शूरातन का अँग(२४ - ४९/५१) =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*शूरातन का अँग २४*
.
दादू मरणा खूब है, निपट१ बुरा व्यभिचार ।
दादू पति को छाड़ कर, आन२ भजे भरतार ॥४९॥
अहँकार रहित होना रूप मरणा तो अति श्रेष्ठ है, किन्तु परमात्मा रूप पति को छोड़ अन्य२ देवतादि को भरतार समझ कर भजना सर्वथा१ बुरा और व्यभिचार है ।
.
दादू तन तैं कहा डराइये, जे विनश जाइ पल बार । 
कायर हुआ न छूटिये, रे मन हो हुसियार ॥५१॥ 
जो एक क्षण जितने समय में नष्ट हो जाता है, ऐसे भजन में विध्न करने वाले विरोधी शरीर से क्यों डरता है ? कायर होकर डरने से तेरे कर्म का भोग तो नहीं छूटेगा ? अत: हे मन ! भजन के लिये सावधान हो । 
दादू मरणा खूब है, मर माँहीं मिल जाइ । 
साहिब का संग छाड़ कर, कौन सहे दुख आइ ॥५२॥ 
अहँकार का नष्ट करना रूप मरणा अति श्रेष्ठ है । कारण, साधक मर कर परमात्मा में ही मिल जाता है । अत: फिर परमात्मा का एकता रूप संग छोड़कर कौन बुद्धिमान् सँसार में आकर जन्मादि दु:ख सहन करेगा ?
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें