गुरुवार, 19 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(३. राग कल्याण २) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ३. राग कल्याण =*
(२) 
(ताल तिताला) 
*नर राम भजन करि लीजिये ।* 
*साध संगति मिलि हरि गुन गइये प्रेम मगन रस पीजिये ।(टेक)* 
अरे भले आदमी ! इस मनुष्य देह में आया है तो अब भगवान् का भजन करले । साधु सन्तों के साथ बैठकर प्रभु के गुणगान में तल्लीन हो जा, प्रेमाभक्ति का स्वाद(रस) चख ॥टेक॥ 
*भ्रमत भ्रमत जग मैं दुख पायौ अब काहे कौं छीजिये ।* 
*मनिषा जन्म जानि अति दुर्ल्लभ कारिज अपनौ कीजिये ॥१॥* 
इस संसार में भटकते हुए तूने बहुत कष्ट भोग लिये, अब भी क्यों इसी में अपने को लगाये हुए है । तूँ इस मानव जन्म की अतिशय दुर्लभता समझता हुआ पहले अत्यावश्यक कार्य पूर्ण कर ले ॥१॥ 
*सहज समाधि सदा लय लागै इहिं बिधि जुग जुग जीजिये ।* 
*सुंदरदास मिलै अबिनाशी दंड काल सिर दीजिये ॥२॥* 
तूँ सहज समाधि में लीन हो जा । इस प्रकार, चिर काल तक रहता हुआ अपना जीवन व्यतीत कर ले । महाराज श्री सुन्दरदासजी कहते हैं कि इसी विधि से वे अविनाशी प्रभु तुझे मिल सकेंगे, तभी तूँ अपनी मृत्यु को भी दण्डित कर भगा सकेगा ॥२॥
(क्रमशः)

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