शनिवार, 4 अगस्त 2018

(१२)


#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*तूँ न विसारी केशवा, मैं जन भूला तोहि ।*
*दादू को और निवाह ले, अब जनि छाड़े मोहि हो ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. १२)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१२)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥१२॥
अपने शरणागतों को शास्त्रोचित सद्बुद्धि देने वाली, धरती पुत्री सीता, इस लज्जाजनक कार्य से आहत, अपनी कान्ति को बिना गँवाए, वन गमन का साहस कर गई ॥१२॥ 
Seetha, the daughter of the mother earth, who gives pure intellect through the study of sasthras to those who resort to her, went to the forest boldly without losing her lustre, grieved over the shameful act of Kaikeyi.(12) 
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(१२) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥१२॥
तेजस्वी रक्षक कृष्ण – वैभवदाता, जिनका वाहन गरुड़ है – उनकी ओर, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण सत्यभामा ने अपने को नीचा(रुक्मिणी को पुष्प देने से) दिखने से अपमानित, देखा ही नहीं ॥१२॥
By Sathyabhama, who had deep wisdom and who was disgraced by the insult(of giving the flower to Rukmini), Krishna, the resplendent protector and the one who has Garuda as his vehicle and the giver of wealth, was not even looked at.(12)
(क्रमशः)

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