#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*दादू गोविन्द के गुण बहुत हैं, कोई न जाणै जीव ।*
*अपणी बूझै आप गति, जे कुछ किया पीव ॥*
===============
**श्री रज्जबवाणी**
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत् संस्करण ~ Tapasvi Ram Gopal
.
*अन्तकाल अन्तराय ब्यौरा का अंग ६५*
.
शून्य१ समीर२ न फटि रहै, गोली गोलै गौन३ ।
तैसे रज्जब प्राण पति, तो अंतक४ अंतर कौन ॥१३॥
आकाश१ में स्थित वायु२ बन्दूक की गोली और तोप के गोले के गमन३ से फटकर आकाश से अलग नहीं रहता, वैसे ही प्राण पति में स्थित संत काल४ के विघ्न से फटकर प्रभु से अलग नहीं रहता ।
.
अंतक१ पड़े न अंतरा२, जा सौं जीव की प्रीति ।
मीन भाग जल चोट तकि, मिल जाणी रस३ रीति ॥१४॥
जिससे जीव की प्रीति होती है, उससे मिलने में काल१ से विघ्न२ नहीं पड़ता, देखो, जल में चोट पड़ने से मच्छी के मार्ग में कहां विघ्न पड़ता है ? यह प्रेम३ की रीति प्रेमियों ने प्रेम पात्र में मिलकर ही जानी है ।
.
देही द्वारा१ दहम२ ह्वै, अंतक३ लागै आग ।
प्राण पंखि सो ना जलै, देखि जाय उड भाग ॥१५॥
अग्नि लगने से धाम१ तो जलजाता२ है किन्तु पक्षी तो अग्नि को देखकर उड़ भागता है, वैसे ही देह तो काल३ से नष्ट हो जाता है किन्तु जीवात्मा नष्ट नहीं होता, वह तो प्रीति होती है उसी के पास भाग जाता है ।
.
अंतक१ मनहुं पाहुणी२ आग, प्राण लोह सौं रहै न लाग ।
आरंभ उठै उदंगल३ आय, रज्जब रहै नहीं ठहराय ॥१६॥
काल१ मानों अतिथि२ रूप अग्नि के समान है, जैसे लोह में आने वाली अग्नि अतिथि के समान आकर आरंभ में तो उपद्रव३ करता है, लोह को अग्नि वर्ण तथा अति उष्ण करकै मैल जला देता है किन्तु लोह में ठहरता नहीं पुन: लोह पूर्ववत शीतल हो जाता है, वैसे ही काल आता है तब तो उपद्रव करता है किन्तु फिर प्राणी के साथ लगकर नहीं रहता शरीर नष्ट करके चला जाता है ।
.
रज्जब फिरत फिर त्यौरी१ फिरी, यथा तनय२ तुछ३ सुबुद्धि४ ।
सो धर गिरी देखै भ्रमत, भोला भोली बुद्धि ॥१७॥
जैसे चलते फिरते बालक२ की दृष्टि१ फिर जाती है और किंचित्३ सुधि४ रहती है तब वह घर, पर्वत आदि को भी फिरते देखता है, वैसे ही भोली बुद्धि के भोले प्राणी जिनको किंचित ज्ञान होता है वे जीवात्मा को भी काल द्वारा नष्ट होता देखता है, यह उनका भ्रम है, काल द्वारा स्थूल शरीर ही नष्ट होता है जीवात्मा नहीं ।
इति श्री रज्जब गिरार्थ प्रकाशिका सहित अंतकाल अंतराय ब्यौरा का अंग ६५ समाप्त ॥सा. २०७२॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें