#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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*करुणा*
दादू बहुत बुरा किया, तुम्हें न करना रोष ।
साहिब समाई का धनी, बन्दे को सब दोष ॥२॥
२ - १० में पूर्व - प्रमाद का खेद प्रकट करते हुये विनय कर रहे हैं - प्रभो ! प्राणी को स्वभावत: ही सब दोष आ घेरते हैं, उन दोषों के कारण हमने प्राय: अधिकतर बुरे ही कार्य किये हैं, किन्तु फिर भी आप तो क्षमा - धन के धनी हैं । अत: क्रोध न करके कृपा ही करेंगे । साखी दो तथा विनती अँग की विशेष रचना आमेर - जयपुर के मध्य की घाटी में हुई थी ।
प्रसंग कथा=दृ - सु - सि - त - ९ - १५२ में देखो।
(क्रमशः)
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