#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*निगुणा का अँग ३३*
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साहिबजी सब गुण करै, सद्गुरु का दे संग ।
दादू परलै१ राखिले, निगुणा न पलटे अँग१॥२५॥
परमात्मा सद्गुरु का संग देकर ज्ञानोपदेश द्वारा जीवों को बारँबार विनाश१ से बचाकर अपने स्वरूप में लय करते हैं, किन्तु सद्गुरु का ज्ञानोपदेश न मानकर कृतघ्न अपने कृतघ्नता आदि लक्षण१ बदलता ही नहीं, तब उसका उद्धार कैसे हो ?
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साहिबजी सब गुण करै, सद्गुरु आडा१ देइ ।
दादू तारे देखताँ, निगुणा गुण नहिं लेइ ॥२६॥
परमात्मा सद्गुरु को बीच१ में रखकर जीवों के लिए सब प्रकार से उपकार ही करते हैं और जीवन काल में ही देखते - देखते ज्ञान द्वारा उद्धार कर देते हैं, किन्तु कृतघ्न तो उनके ज्ञान - गुण को धारण करता ही नहीं, तब उसका उद्धार कैसे हो ?
(क्रमशः)
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