शुक्रवार, 1 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१६.राग सोरठ - ९/२) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १६. राग सोरठ (९/२)=*
*ब्रह्मा बिष्णु महेस बिचारा,*
*उहां लग जान न पाया हो ।* 
*बाजी मांहि बीचि ही अटके,*
*मोहि लिये सब माया हो ॥३॥* 
*तहां गये गोरक्ष भरथरी,*
*जहां घांम नहिं छाया हो ।* 
*तहां कबीर गुरु दादू पहुंचे,*
*सुन्दर उहिं दिशि धाया हो ॥४॥* 
ये ब्रह्मा, विष्णु महेश तो साधारण देवता हैं । वे भी हमारे उस उपास्य देव को नहीं समझ पाये । वे भी उसकी उपासना करते हुए बीच में ही अटक(फँस) गये तथा माया मोह में फँस गये ॥३॥ 
हमारे उस उपास्य देव के घर में न मोह का ताप है और न माया की छाया । वहाँ(उस निराकार तक) तो कबीर एवं श्रीदादूदयाल जैसे सन्त ही पहुँच पाये हैं । यह गरीब सुन्दरदास उसी निराकार उपास्य देव की ओर दौड़ लगा रहा है कि किसी प्रकार उसे प्राप्त कर ले ॥४॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें