शनिवार, 16 मार्च 2019

= १८४ =

🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*जीवण मरण न बांछै कबहूँ,*
*आवागमन न फेरा ।*
*पानी पवन परस नहिं लागै,*
*तिहिं संग करै बसेरा ॥*
(श्री दादूवाणी~पद २०९)
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'निर्विकल्प स्वभाव वाले योगी के लिए राज्य और भिक्षावृत्ति में, लाभ और हानि में, समाज और वन में फर्क नहीं है।’
न विक्षेपो न चैकाग्रयं नातिबोधो न मूढ़ता।
न सुखं न च वा दु:खमुपशांतस्य योगिन:
स्वराज्ये भैक्यवृत्तौ च लाभालाभे जने वने
निर्विकल्पस्वभावस्य न विशेषोउस्ति योगिन:।
ऐसा जो शांत हो गया, मध्य में ठहर गया, संतुलित हो गया, ऐसे अंतरसंगीत को जो उपलब्ध हो गया—ऐसे निर्विकल्प स्वभाव वाले योगी के लिए फिर न राज्य में कुछ विशेषता है, न भिक्षावृत्ति में।
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ऐसा योगी अगर भिक्षा मांगते मिल जाये तो भी सम्राट की शान उसमें पाएंगे। और ऐसा व्यक्ति अगर सम्राट के सिंहासन पर बैठा मिल जाये तो भी भिक्षु की स्वतंत्रता उसमें पाएंगे।
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ऐसा व्यक्ति कहीं भी मिल जाये, अगर जरा गौर से देखेंगे तो उसमें दूसरा छोर भी संतुलित पाएंगे। सम्राट होकर वह सिर्फ सम्राट नहीं हो जाता; वह किसी भी क्षण छोड़ कर चल सकता है। और भिक्षु हो कर वह भिक्षु नहीं हो जाता, दीन नहीं हो जाता। भिक्षु में भी उसका गौरव मौजूद होता है और सम्राट में भी उसका शांत चित्त मौजूद होता है। भिक्षु और सम्राट से कुछ फर्क नहीं पड़ता।
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ऐसे व्यक्ति को 'विशेष न अस्ति' कोई चीज विशेष नहीं है। फिर वह समाज में हो कि वन में, कोई भेद नहीं, ऐसे व्यक्ति को भीड़ में भी अकेला पाएंगे। और ऐसे व्यक्ति को जंगल में बैठा हुआ पाएंगे तो भीड़ से दूर न पाएंगे, विपरीत न पाएंगे।
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ऐसा व्यक्ति भीड़ से डर कर नहीं चला गया है जंगल में। ऐसे व्यक्ति को जंगल से भीड़ में ले आएं, कि भीड़ से जंगल में ले जाएं, कोई फर्क न पड़ेगा। ऐसा व्यक्ति अब अपने भीतर ठहर गया है। कोई चीज कंपाती नहीं।
स्वराज्ये भैक्यवृत्ता.....!
चाहे राज्य हो चाहे भिक्षा।
लाभालाभे.....।
चाहे लाभ हो चाहे हानि।
जने वा वने......।
चाहे जंगल चाहे भीड़।
निर्विकल्पस्वभावस्य योगिन:
योगी तो निर्विकल्प बना रहता है।
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उसका कोई चुनाव नहीं है। वह ऐसा भी नहीं कहता कि ऐसा ही हो। हो जाये तो ठीक, न हो जाये तो ठीक। ऐसा हो तो ठीक, अन्यथा हो तो ठीक। उसने सारी प्रतिक्रिया छोड़ दी। वह अब वक्तव्य ही नहीं देता। वह जो घटता है, उसे घट जाने देता है। उसकी अब कोई शिकायत नहीं है। सब उसे स्वीकार है। तथाता। सब उसे अंगीकार है।

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