शुक्रवार, 1 मार्च 2019

= १५९ =

🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*मुख तैं शब्द विकल भई वाणी,*
*जन्म गया सब रैन बिहाणी ।*
*प्राण पुरुष पछतावण लागा,*
*दादू अवसर काहे न जागा ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. २२०)
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साभार ~ Vinki Vikram Verma

मैं नेपोलियन बोनापार्ट के बचपन की कुछ किताबें देखता था। नेपोलियन बोनापार्ट जब पढ़ता था, तो अपनी एक स्कूल की एक्सरसाइज कापी में, एक छोटी-सी कापी में उसने एक वाक्य लिखा है। भूगोल के बाबत जानकारी ले रहा था। किसलिए? भूगोल के बाबत जानकारी ले रहा था कि सारी दुनिया जीतनी है, तो भूगोल तो जानना ही पड़ेगा। बचपन से ही नेपोलियन के दिमाग में सारी दुनिया को जीतने का खयाल था, तो भूगोल की जानकारी जरूरी थी। एक बड़ी मजेदार घटना घटी। और इस जिंदगी में बड़ी मजेदार घटनाएं घटती ही हैं। जिंदगी बड़ी गहरी मजाक है।
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सेंट हेलेना का छोटा-सा द्वीप है, बहुत छोटा। तो नक्शे पर नेपोलियन बोनापार्ट ने उसके चारों तरफ एक गोल लकीर खींच दी और लिख दिया, यह इतनी छोटी जगह है कि इसे जीतने की कोई जरूरत नहीं। और मजे की बात यह है कि नेपोलियन जब हारा, तो सेंट हेलेना के द्वीप में ही बंद किया गया, कैदी किया गया। जिस जगह को उसने जीतने के लिए छोड़ रखा था कि बेकार है; एक छोटा-सा द्वीप है, जिस पर कुछ नहीं, घास ही उगती है। इसको नहीं जीतने की कोई जरूरत है।
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सारी दुनिया जीतनी चाही थी उसने ! लेकिन कभी-कभी जिंदगी बड़े मजाक करती है। सारी दुनिया तो हार गया, आखिर में सेंट हेलेना का द्वीप ही बचा। और उस पर ही कैदी होकर नेपोलियन आखिरी वक्त में था। शायद उसे खयाल भी न आया होगा कि कभी मैंने भूगोल की किताब पर निशान लगाया था कि सेंट हेलेना बिलकुल बेकार है। आखिर में वहीं शरण मिली। जो बिलकुल बेकार मालूम पड़ा था, वही शरण बना। सारी जमीन छिन गई हाथ से, वह सेंट हेलेना का द्वीप ही छोटा-सा, कुल जमा शरण थी।
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जिंदगी में ऐसा रोज होता है। जिस परमात्मा को हम सदा छोड़े रहते हैं कि पाने योग्य नहीं है, और जिस परमात्मा को हम सदा बाहर रखते हैं जिंदगी के, वही परमात्मा अंत में पता चलता है कि शरण होने योग्य था--वही परमात्मा।

🌹ओशो🌹
गीता दर्शन. भाग-3. प्रवचन -31

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