सोमवार, 4 मार्च 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू पूरणहारा पूरसी, जो चित रहसी ठाम ।*
*अन्तर तैं हरि उमग सी, सकल निरंतर राम ॥*
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साभार ~ Rini Bhatnagar

*#कल्पना द्वारा नकारात्मक को #सकारात्मक में #बदलना*

सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत #प्रसन्नहो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें -- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण -- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा-- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।

जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो…जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो, तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना है ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक दूसरे में घुलमिल जाएं।

किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह #वास्तविकता में बदल जाती है। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम#बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही। तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।

तो जब भी कोई #नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे,फेंक दें उसे।

एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम #बिनाकिसी #कारण के #प्रसन्न रहने लगे हो— बिना किसी कारण के।

ओशो: द पैशन फॉर द इम्पॉसिबल, #3

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