#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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विनती
सांई सांचा नाम दे, काल झाल मिट जाइ ।
दादू निर्भय ह्वै रहे, कबहूं काल न खाइ ॥४८॥
४८ -
५३ में रक्षार्थ विनय कर रहे हैं - हे स्वामिन् ! आप हमको अपने नाम का निष्कपट और
निष्काम भाव युक्त स्मरण - साधन प्रदान कीजिये, जिससे कालाग्नि
की कामादिक - ज्वालायें शाँत हो जायें और हम आपके स्वरूप को प्राप्त करके निर्भय
बन जायें । बस, इतनी कृपा कर दीजिये, फिर
हमको कभी भी काल नष्ट नहीं कर सकेगा ।
(क्रमशः)
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