#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*विनती का अँग ३४*
.
दया विनती
राम विमुख युग युग
दुखी, लख चौरासी जीव ।
जामे१ मरे जग आवटे, राखणहारा पीव ॥४६॥
रक्षार्थ
दया करने की प्रार्थना कर रहे हैं - भगवान् से विमुख जीव प्रत्येक युग में सँसार
की चौरासी लक्ष योनियों में त्रिविध ताप से सन्तप्त रह कर, जन्मता - मरता हुआ परम दु:खी हो रहा है । अत: हे रक्षक प्रभो ! दया करके
हमारी रक्षा करें ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें