#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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पोष प्रतिपाल रक्षक
समरथ सिरजनहार है, जे कुछ करे सो होइ ।
दादू सेवक राख ले, काल न लागे कोइ ॥४७॥
पोषक, प्रतिपालक, रक्षक ईश्वर
की सामर्थ्य दिखा रहे हैं - सृजनहार परमात्मा सर्व समर्थ हैं, वे जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह ही होता है । वे
जिस सेवक की रक्षा कर लेते हैं उसके पीछे काल नहीं लग सकता ।
(क्रमशः)
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