सोमवार, 8 अप्रैल 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू कौवा बोहित बैस कर, मंझि समंदाँ जाइ ।*
*उड़ि उड़ि थाका देख तब, निश्चल बैठा आइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ मन का अंग)*
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साभार ~ oshoganga.blogspot.com
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सोने की ईंट में थोड़े ही सुख है, मान्यता कि सोने की ईंट है, बहुमूल्य है, अपनी है, मैं मालिक, अपने पास है, इसमें सुख है। सुख तो भीतर है, हड्डी कोई भी चुन लें।
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धार्मिक व्यक्ति वही है जिसने हड्डी छोड़ दी, क्योंकि हड्डी के कारण घाव बनते हैं। और जिसने कहा, जब सुख भीतर ही है तो सीधा—सीधा ही क्यों न ले लें? बैठेंगे आंख बंद करके, डूबेंगे। नाचेंगे भीतर। बजाएंगे वीणा भीतर की। गुनगुनाएंगे भीतर। डुबकी लेंगे प्रेम में। डूबेंगे भीतर रस में।
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इतना ही फर्क है संसारी और असंसारी में। संसारी सोचता है, बाहर कहीं है। जब किसी सुंदर स्त्री को देख कर प्रसन्न होते हैं, तब भी प्रसन्नता भीतर से ही आती है। और जब लोग फूलमालाएं पहनाते हैं, तब प्रसन्न होते हैं, तब भी प्रसन्नता भीतर से ही आती है। और जब कोई किसी भी तरह का सुख देता है, तब जरा गौर से देखें, सुख वहां से आता है कि कहीं भीतर से ही झरता? बाहर तो निमित्त हैं, स्रोत भीतर है। बाहर तो बहाने हैं, मूल स्रोत भीतर है।
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बहानों से मुक्त होकर जो व्यक्ति रस लेने लगता है उसको कहते हैं,
'आत्मारामस्य'।
आत्मा में ही अब अपना रस लेने लगा। अब इसके ऊपर कोई बंधन न रहा। अब दुनिया में कोई इसे दुखी नहीं कर सकता। और अब इसकी सारी भ्रांतियां टूट गईं। इसने मूल स्रोत को पा लिया। यह स्रोत भीतर है। 
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जरा चक्कर लगा कर पाते हैं। और चक्कर लगाने के कारण बहुत सी उलझनें खड़ी कर लेते हैं। कभी—कभी तो ऐसा हो जाता है कि जिन निमित्तों के कारण इस सुख को पाना चाहते हैं, वे निमित्त ही इतने बड़े बाधा बन जाते हैं कि इस तक पहुंच ही नहीं पाते।
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प्रकृत्या शन्यचित्तस्य कुर्वतोऽस्य यदृच्छया।
प्राकृतस्येव धीरस्य न मानो नावमानता।।
'स्वाभाविक रूप से जो शून्यचित्त है और सहज रूप से कर्म करता है, उस धीरपुरुष के सामान्य जन की तरह न मान है और न अपमान है।'
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'स्वाभाविक रूप से जो शून्यचित्त है...।'
क्या अर्थ हुआ, स्वाभाविक रूप से शुन्यचित्त? चेष्टा से नहीं, प्रयास से नहीं, अभ्यास से नहीं, यत्न से नहीं; स्वभावत:, समझ से, बोध से, जागरूकता से जिसने इस सत्य को समझा कि सुख मेरे भीतर है। इसे देखें, इसे पहचानें। इसे जगह—जगह जांचे, परखें। इसके लिए कसौटी सजग रखें।

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