#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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सेवक की रक्षा करै, सेवक की प्रतिपाल ।
सेवक की बाहर१ चढ़ै, दादू दीन दयाल ॥३६॥
श्री दीनदयालु भगवान् अपने भक्त की कामादि विकारों से रक्षा करते हैं, भोजनादि द्वारा पालन - पोषण करते हैं और दुष्टों से बचाने के लिए सदा मदद१ चढै=सहायक१ होते रहते हैं ।
(क्रमशः)
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