बुधवार, 1 मई 2019

= सुन्दर पदावली(२०.राग गौंड - ३/१) =

#daduji


॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*बिरहनि है तुम दरस पियासी ।* 
*क्यौं न मिलौ मेरे पिय अबिनासी ॥(टेक)* 
*येते दिन हौं काइ बिसारी,*
*निस दिन झूरि मरत है नारी ॥१॥* 
यह विरहिणी आपके दर्शनों की प्यासी(इच्छुक) है । हे मेरे प्रिय अविनाशी ! अब भी आप मुझसे क्यों नहीं मिल रहे हैं ॥टेक॥ 
इतने दिन से आप मुझको क्यों भूले हुए हैं । मैं आपकी विरहिणी आपके विरह वियोग में रो रो कर, तड़प तड़प कर मर रही हूँ ॥१॥ 
(क्रमशः)

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