रविवार, 24 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१७ राग जैजैवन्ती - २/२) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १७. राग जैजैवन्ती(२/२)=*
*बांवैं कानि सुनि भावै दाहिनै पुकारि कहूं ।* 
*अबकै न चेत्यौ तो तूं पीछै पछिताइ है ॥२॥* 
*भावै आज भावै कल्पन्त बीतैं होइ ज्ञान ।* 
*तबही तूं अबिनासी पद मैं समाइ है ॥३॥* 
*सुन्दर कहत सन्त मारग बतावैं तोहि ।* 
*तेरी पुसी परै तहां तूं हीं चलि जाइ है ॥४॥(१३४)* 
भले ही तूँ मेरी यह(शिक्षाप्रद) वार्ता वाम कर्ण से सुन, या दक्षिण कर्ण से कि तूँ मेरे कहने से इस बार न सावधान हुआ तो बाद में पश्चात्ताप ही करता हुआ रह जायगा ॥२॥ 
तूझे मेरी कही हुई यह बात(ज्ञान) आज समझ में आये या एक कल्प के बाद, बस ! उसी समय से तूँ अविनाशी पद में स्थित हो जायगा ॥३॥ 
महात्मा सुन्दरदासजी कहते हैं – यह बात मैं नहीं कह रहा, यह तो सन्तों की बतायी हुई बात(मार्ग) है । अब तुम्हारी इच्छा(ख़ुशी) जैसी हो तदनुसार तुम ही को चलना है ॥४॥१३४॥
(क्रमशः)

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