सोमवार, 20 जनवरी 2020

= सुन्दर पदावली(२३. अंत समय की साखी ४/६) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (२३. अंत समय की साखी ४/६) =*
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*बैद हमारै रामजी ओषधि हू है राम ।* 
*सुन्दर यहै उपाइ अब सुमिरन आठौं जाम ॥४॥* 
(किसी ने रोगशमन हेतु ओषध के प्रयोग की बात कही तो उनने उत्तर दिया -) 
अब हमारे वैद्य एकान्ततः भगवान् ही है, उनका पवित्र नाम ‘राम’ ही हमारी एकमात्र ओषधि है । अब तो इसके शमन का एकमात्र उपाय हमारे पास यही रह गया है कि उसी भगवान् का पवित्र नाम हम निरन्तर जपते रहें ॥४॥ 
*सात बरस सौ मैं घटै इतने दिन की देह ।* 
*सुन्दर आतम अमर है देह षेह की षेह ॥५॥* 
(महाराज अपने शरीर की वास्तविक आयु सूचित कर रहे हैं -) 
मेरे इस शरीर की आयु एक सौ(१००) वर्ष पूर्ण होने में केवल सात(७) वर्ष कम है । महाराज कहते हैं –यह आत्मा तो अजर अमर है, केवल इस देह को धूल में मिल जाना है ॥५॥ 
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*सुन्दर संसै को नहीं बड़ो महोच्छव येह ।* 
*आतम परमातम मिले रहौ कि बिनसौ देह ॥६॥* 
आज मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है । मेरे लिये तो यह दिन एक महोत्सव के रूप में है कि यह आत्मा परमात्मा से मिलेगा । मुझे इसका कोई सन्ताप नहीं है कि मेरा यह देह अब जीवित रहे या विनष्ट हो जाय ॥६॥ 
॥ इति फुटकर काव्य संग्रह समाप्त ॥६॥ 
॥ इति श्रीस्वामी सुन्दरदास विरचित समस्त सुंदर ग्रंथावली सम्पूर्णम् ॥

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