#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (१६. अर्थ सिंघावलोकनी) =*
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*संज्ञा कौंन अखंड कौंन हरि सेवा लावै ।*
*कंठ बिराजै कौंन कौंन नर संग कहावै ॥*
*गुनहगार का षाइ कहा चाहै सब कोई ।*
*कपि कै गल मैं कहा कहा दुंहुवनि मिलि होई ॥*
*अब सुन्दर पथिक कहा कहै मुक्त क्षेत्र का नाम है ।*
*कहि हर रिपु हजरति थान कौ “सदा मारसी काम” है ॥२४॥*
१.अखण्ड संज्ञा किसे कहते हैं ?
२.भगवदाराधना में कौन लगाता है ?
३.कण्ठ में कौन बैठा है ?
४.मनुष्य का संग क्या कहा जाता है ?
५.अपराधी क्या भोगता है ?
६.सभी लोग क्या चाहते हैं ?
७.कपि के कण्ठ में क्या है ?
८.दो के मिलने से क्या होता है ?
९.महात्मा पूछते हैं – यात्री क्या करते हैं ?
१०.मुक्त क्षेत्र का क्या नाम है ?
११.महादेव के शत्रु का क्या स्थान है ॥२४॥
(क्रमशः)
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