मंगलवार, 7 जनवरी 2020

= सुन्दर पदावली(१७. अथ प्रतिलोम अनुलोम) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (१७. अथ प्रतिलोम अनुलोम) =*
*काठ माहिं का देत कहा प्रीतम कौं कीजै ।* 
*पाव चढ़त सो कहा कहा धनुष हि संधीजै ॥* 
*कापर ह्वे असवार बचन का प्रत्यक्ष कहावै ।* 
*पान करै सो कहा कहा सुनि अति सुख पावै ॥* 
*अब कहा दृढ़ावै जैनमत का बिरहनि उर लगि बकी ।* 
*कहि सुन्दर प्रति अनुलोम “यह रस कथा दयालकी” ॥२५॥* 
१.काष्ठ में क्या दिया जाता है ? 
२.प्रियतम के लिए क्या किया जाता है ? 
३.घोड़े पर किस पर पैर रख कर चढ़ा जाता है ? 
४.धनुष् का संधान किससे होता है ? 
५.सवारी किस पर की जाती है ? 
६.कौन वचन ‘प्रत्यक्ष’ कहा जाता है ? 
७.पान किसका किया जाता है ? 
८.किसके श्रवण से अतिशय सुख मिलता है ? 
९.जैनमत का अभ्यास दृढ़ता से क्यों किया जाता है ? 
१०.विरहिणी छाती से लगाकर क्या बोलती है ? 
महाराज श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं – संसार के सभी वाक्य प्रतिलोम हैं ? इनका उत्तर दयाल जी महाराज की वाणी अनुलोम है ॥२५॥
(क्रमशः)

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