रविवार, 22 मार्च 2020

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*परमारथ को सब किया, आप स्वार्थ नांहि ।*
*परमेश्वर परमार्थी, कै साधु कलि मांहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *वैराग्य*
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अजमेर मदारगेट के रामद्वारा के संत त्यागीरामजी के कार्य ही आज भी उनके त्याग को बतला रहा है, तथा त्यागीरामजी में अनुराग पैदा कर है । त्यागीरामजी जहां जल का अभाव होता ऐसे स्थान वन में तथा मार्ग पर जाकर आसान लगा देते थे । वहां भी भक्त लोग पानी के मटके व चनों की बोरियां रख देते थे । स्वामीजी पथिकों को चने खिलाकर प्रेम से पानी पिला दिया करते थे । कुछ दिनों में जब कूप बन जाता था, तब वहां से उठकर दूसरे स्थान में जा बैठते थे । 
इस प्रकार उनके बनाए हुए कुएँ पुष्कर तीर्थ के आस-पास के गांवों में कई स्थानों में हैं । उन पर प्राय: जल का प्रबन्ध आज भी अच्छा ही रहता है । उनने अपने रहने के लिये कुछ भी नहीं बनाया था, पुष्कर में जहां अब स्वामी ब्रह्मानन्दजी की बगीची है यहां ही उनकी समाधि बनी है, बगीचे का कूप भी त्यागीरामजी का ही बनाया हुआ सुना जाता है । समाधि धारण त्यागियों के भक्त भी आडम्बर को वहां कहां पसन्द करते हैं ।
कार्य सच्चे त्यागि के, बतलाते हैं त्याग ।
कुँऐं त्यागीराम की, जगा रही अनुराग ॥२२१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^

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