बुधवार, 10 जून 2020

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
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*राम नाम नहीं छाडूं भाई,*
*प्राण तजूं निकट जीव जाई ॥टेक॥*
*रती रती कर डारै मोहि,*
*साँई संग न छाडूं तोहि ॥१॥*
*भावै ले सिर करवत दे,*
*जीवन मूरी न छाडूं तोहि ॥२॥*
*पावक में ले डारै मोहि,*
*जरै शरीर न छाडूं तोहि ॥३॥*
*अब दादू ऐसी बन आई,*
*मिलूं गोपाल निसान बजाई ॥४॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद. १)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु*, *स्मरण भक्ति*
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नवद्वीप के बाईस बाजारों में अपने शरीर पर भारी मार पड़ने पर भी हरिदासजी ने हरि नाम का उच्चारण करना नहीं छोड़ा था ।
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यह कथा प्रसिद्ध है । इससे सूचित होता है कि नाम रसिक शरीर के दु:ख की और नहीं देखता । नाम उच्चारण के आनन्द में ही मग्न रहता है ।
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नाम रसिक तन खेद को, लखता है लव नांहिं ।
तजा नहीं हरिदास ने, पिटे बाजारों मांहि ॥८७ ॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^

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