🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*जब अंतर उरझ्या एक सौं, तब थाके सकल उपाइ ।*
*दादू निश्चल थिर भया, तब चलि कहीं न जाइ ॥*
===============
*साभार ~ @Krishna Krishna*
.
कृष्ण शब्द का अर्थ होता है, केंद्र। कृष्ण शब्द का अर्थ होता है, जो आकृष्ट करे, जो आकर्षित करे; सेंटर ऑफ ग्रेविटेशन, कशिश का केंद्र। कृष्ण शब्द का अर्थ होता है, जिस पर संसारी चीजें खिचती हों, जो केंद्रीय चुंबक का काम करे। प्रत्येक व्यक्ति का जन्म एक अर्थ में कृष्ण का जन्म है, क्योंकि हमारे भीतर जो आत्मा है, वह कशिश का केंद्र है। वह सेंटर ऑफ ग्रेविटेशन है जिस पर सब चीजें खिंचती हैं और आकृष्ट होती हैं।
.
शरीर खिंच कर उसके आस-पास निर्मित होता है, परिवार खिच कर उसके आस-पास निर्मित होता र्है, समाज खिंच कर उसके आस-पास निर्मित होता है, जगत खिंच कर उसके आस-पास निर्मित होता है। वह जो हमारे भीतर कृष्ण का केंद्र है, आकर्षण का जो गहरा बिंदु है, उसके आस-पास सब घटित होता है। तो जब भी कोई व्यक्ति जन्मता है, तो एक अर्थ में कृष्ण ही जन्मता है।
.
वह जो बिंदु है आत्मा का, आकर्षण का, वह जन्मता है। और उसके बाद सब चीजें उसके आस-पास निर्मित होनी शुरू होती हैं। उस कृष्ण-बिंदु के आस-पास क्रिस्टोलाइजेशन शुरु होता है और व्यक्तित्व निर्मित होते हैं। इसलिए कृष्ण का जन्म एक व्यक्ति विशेष का जन्मात्र नहीं है, बल्कि व्यक्तिमात्र का जन्म है।
.
- ओशो, कृष्ण स्मृति
प्रवचन नं. 6 से संकलित

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें