🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*#पं०श्रीजगजीवनदासजीकीअनभैवाणी*
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*श्रद्धेय श्री @महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी, @Ram Gopal Das बाबाजी के आशीर्वाद से*
*वाणी-अर्थ सौजन्य ~ @Premsakhi Goswami*
.
*४४. रस कौ अंग ५७/६०*
.
जनक सनक शुक तेक्ष२ साध सब, ध्रू प्रहलाद कबीर ।
कहि जगजीवन वहाँ गुरु दादू, पीवै अम्रित नीर ॥५७॥
(२. तेक्ष=तेजस्वी)
संतजगजीवन जी कहते हैं कि जहाँ परम वैरागी जनक सनक देव शुकदेवजी जैसे तेजस्वी सभी साधु यथा ध्रूव भक्त प्रहलाद भक्त, कबीर साहिब रहते हैं वहां ही हमारे गुरु महाराज दादू जी ने ज्ञानामृत पान किया है ।
.
कहि जगजीवन चौंधि३ हरि, चंचल करै सरीर ।
निविर्ति पद मंहि रांम रटि, पीवै अम्रित नीर ॥५८॥
(३. चौंधि=सांसारिक चकाचौंध)
संतजगजीवन जी कहते हैं प्रभु जीवात्मा को संसार की चकाचौंध से तो चंचल करते हैं व निवृति पद प्रदान कर स्मरण द्वारा अमृत पान कराते हैं ।
.
कहि जगजीवन रांम रटि, मन मनसा थिर होइ ।
प्रेम भगति तहां ऊपजै, दुक्ख न व्यापै कोइ ॥५९॥
संतजगजीवन जी कहतेहैं कि जब स्मरण करते हैं तब मन आशा सब स्थिर होते हैं । और तब जो वहां प्रेम भक्ति उत्पन्न होती है तो फिर कोइ दुख नहीं होता है ।
.
वकुला४ रस से सींचिये, रस का स्वादि सुहाइ४ ।
कहि जगजीवन भगति ए, रांम क्रिपा करि आइ ॥६०॥
{४-४. वकुला रस....सुहाइ- यदि आम ले छिलके को आम के रस में डुबो कर चूसा जाय तो वह अपेक्षाकृत अधिक स्वादिष्ट(रुचिकर) लगता है ॥६०॥}
संतजगजीवन जी कहते हैं कि जो व्याकुल है तृषित है उसे रस सिंचित करने से उसे रस सुहाना लगता है । इस प्रकार यह सब भक्ति ज्ञान रुपी रस राम कृपा से ही मिलते हैं ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें