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श्री दादूवाणी मूल पाठ ~ द्वितीय पारायण
विरह का अंग, परिचय का अंग, जरणा का अंग, हैरान का अंग, लै का अंग
स्वर ~ स्वामी श्री भगवानदास जी तपस्वी, निवाई, राजस्थान(भारत)
*श्री दादूवाणी मूल पाठ ~ द्वितीय पारायण*
प्रेरणा प्रवाह ~ महंत महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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