सोमवार, 1 सितंबर 2025

सदाव्रत सदा प्रतिदिन

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
.
५ आचार्य जैतरामजी महाराज
.
दादू द्वारे में सदाव्रत सदा प्रतिदिन लगा रहना चाहिये । किसी भी जाति का और किसी भी देश का हो दादू द्वारे में आये को बना हुआ भोजन अवश्य मिलता रहना चाहिये । जो बना हुआ नहीं जी में, स्वयं पाकी हो उसको सूखा सामान देना चाहिये । दादू पंथ या किसी भी पंथ का साधु महात्मा या गृहस्थ सज्जन आवे तो उसका यथोचित स्थान, भोजन आदि द्वारा सत्कार किया जाना चाहिये । 
.
दादू जी महाराज की आविर्भाव तिथि और ब्रह्मलीन होने की तिथि को विशेष रुप से आरती, जागरण, रसोई प्रसाद वितरण आदि द्वारा उत्सव मनाना चाहिये । दादू जी महाराज की स्मृति में नाग पंचमी, वसन्त पंचमी को भी उत्सव मनाया जावे । 
.
मेला के समय फाल्गुण शुक्ला चतुर्थी को बाजरे की खीचडी का प्रसाद बांटे । उस को साधु लोग सुखाकर अपने पास रखें और प्रतिदिन भोजन से पूर्व प्रसाद रुप से एक दाना लेते रहें । फाल्गुण शुक्ला पंचमी को बाहर से पधारे हुये आचार्य जी को लाने, सामने सभी दादू पंथी साधु व सेवक जावें । वहां दंडवत प्रणाम करके भेंट करें और हाथी की सवारी पर बैठाकर संकीर्तन करते हुये बडे समारोह से दादू द्वारे में लावें । 
.
आचार्य जी के आने के पश्‍चात् मेला का आरंभ करें और उस दिन मेले में आये सभी साधुओं को आचार्य जी की और से जिमाया जाय । अष्टमी को मंदिर में दादू वाणी रुप दादूजी महाराज की आरती उतारी जाय उस समय कोई भी साधु या गृहस्थ अपने नाम की आरती उतारना चाहें वे रु. १), २१), ५१) आरती में चढाकर आरती उतार सकते हैं । बाकी के लोग शक्ति अनुसार उन्हीं आरतियों में भेंट चढा सकते हैं ।   
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें