*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*= स्मरण का अंग - २ =*
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*छिन - छिन राम संभालतां, जे जीव जाइ तो जाय ।*
*आतम के आधार को, नाहीं आन उपाय ॥ ११ ॥*
इसलिए हे जिज्ञासुओ ! "स्वासैं स्वास", नाम स्मरण करते हुए यदि प्राण चले जावे तो अति उत्तम है, क्योंकि राम के स्मरण के अतिरिक्त आत्मा के उद्धार का कोई भी उपाय नहीं है ।
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*स्मरण माहात्म्य*
*एक मुहुर्त मन रहै, नांव निरंजन पास ।*
*दादू तब ही देखतां, सकल कर्म का नास ॥ १२ ॥*
टीका - यदि एक क्षण भर भी परमात्मा के नाम से निष्काम वृत्ति से यह मन एकाग्र हो जावे, तो उसी क्षण पूर्व संचित सकाम कर्मों का क्षय हो जाता है ।
(क्रमशः)
(क्रमशः)
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